झारखंड के जामताड़ा, जो साइबर क्राइम के लिए एक गढ़ के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है, में एक बड़े साइबर अपराध गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यहां 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, जिन्होंने इंटरनेट और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बड़ी साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम दिया था।
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि ये आरोपी सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में एक्सपर्ट थे और मैलवेयर डेवलेपमेंट के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार अपराधी 'डीके बॉस' के नाम से फर्जी वेबसाइट चला रहे थे और इसी नाम से ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। इनकी गतिविधियों की जांच में यह पता चला कि इनके पास से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एटीएम कार्ड, एक ड्रोन, और हाई-रिजोल्यूशन कैमरे बरामद हुए हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के कब्जे से एक वेबसाइट पर 2,700 लोगों का डेटा भी मिला है, जिसकी जांच अभी जारी है। इन अपराधियों का तरीका यह था कि वे लोगों को एपके फाइल भेजकर उस पर क्लिक करने के लिए कहते थे। जैसे ही शिकार उस फाइल पर क्लिक करता, इन अपराधियों को उसका पूरा डेटा मिल जाता था, जिससे वे साइबर ठगी को अंजाम देते थे। पुलिस ने बताया कि उनके पास नेशनलाइज्ड बैंकों और पीएम किसान योजना के लाभार्थियों का डेटा भी पाया गया है।
पुलिस के अनुसार, इन अपराधियों ने देशभर में लगभग 415 साइबर अपराध किए हैं, जिसमें कुल 10 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। यह घटनाएं इस बात को स्पष्ट करती हैं कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का गलत इस्तेमाल किस तरह से साइबर क्राइम को बढ़ावा दे रहा है और इस दिशा में लगातार सतर्कता और जांच की जरूरत है।
साइबर क्राइम से निपटने के लिए अब पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगातार इस तरह के गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं, ताकि नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी और वित्तीय सुरक्षा को बचाया जा सके।